मां कहानी का सब्जेक्टिव क्वेश्चन | Ma kahani ka Subjective question
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मां कहानी का क्वेश्चन - आंसर | Ma kahani ka question - answer |
दोस्तों इस पेज में आपको क्लास 10th हिंदी वर्णिका भाग- 2 का पाठ 3 मां कहानी का सब्जेक्ट क्वेश्चन-आंसर दिया हुआ है। जो बिहार बोर्ड मैट्रिक परीक्षा 2023 ( Bihar board Matric exam 2023 ) के लिए बहुत महत्वपूर्ण है और साथ में आपको मां कहानी का ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन भी इस वेबसाइट पर मिल जाएगा। जिससे आप अपने बोर्ड परीक्षा की तैयारी कर सकते हैं।
1. मंगु के प्रति माँ और परिवार के अन्य सदस्यों के व्यवहार में जो फर्क है उसे अपने शब्दों में लिखे।
उत्तर: मंगु के प्रति माँ अति संवेदनशील है। उसे दूसरो पर विल्कुल भरोसा नही । परिवार के अन्य सदस्यों को तनीक भी यह उम्मीद नहीं है, की मंगु ठीक हो जाएगी, लेकिन एक माँ है कि उम्मीद का दामन छोड़ने को तैयार नही। माँ अपनी ममता के कारण मंगू के प्रति परिवार के अन्य सदस्यों से अपना एक अलग ही निर्णय रखती है।
2. माँ मंगु को अस्पताल मे क्यो नही भर्ती कराना चाहती? विचार।
उत्तर: अस्पताल के प्रति माँ की धारणा अच्छी नहीं थी। वह अस्पताल को गौशाला समझती थी। साथ ही अस्पताल वालो की देखभाल पर उसे भरोसा भी नही था। वह मंगु मे प्रति ममता मे अंधी भी थी। इसलिए वह उसे अस्पताल में भर्ती नही कराना चाहती थी।
3. कुसुम के पागलपन मे सुधार देख मं के प्रति माँ, परिवार और समाज की प्रक्रिया को अपने शब्दों में लिखे।
उत्तर: कुसुम के पागलपन में सुधार देख परिवार के सदस्यो व समाज पड़ोसियों ने माँ को उसे अस्पताल मे भर्ती करने के लिए कहा। उसे सभी ने भरोसा दिलाया कि कुसुम की तरह मंगू भी ठीक हो जाएगी। माँ को इस बात का विश्वास भी हो जाता है और वह मंगु को अस्पताल मे भर्ती करने के लिए स्वीकृति दे देती है।
4. मंगू जिस अस्पताल मे भर्ती की जाती है, उस अस्पताल के कर्मचारी व्यवहार कुशल है, या संवेदनशील विचार करे-
उत्तर: मंगु को जिस अस्पताल मे भर्ती की जाती है, उस अस्पताल के कर्मचारी व्यवहार कुशल है। सभी मंगू तथा माँ के प्रति संवेदनशीलता के साथ व्यवहार करते है। रोगी के साथ कैसा व्यवहार करना है, यह वे भली भाँति जानते और समझते थे। यही कारण है कि पति के सामने परिचारिका ने पगली स्त्री के साथ बड़ा सौम्य व्यवहार किया।
5. कहानी के शीर्षक की सार्थवा पर प्रकाश डाले।
उत्तर: 'मां' कहानी का शीर्षक अत्यंत सार्थक है। इस पूरी कहानी के केन्द्र मे मां की ममता और उसका त्याग ही दृष्टिगोचर होता है। वह शुरू से अंत तक अपनी निश्छल ममता की बागडोर अपने हाथ से छुटने नही देती। अंत मे वह अपनी पागल बेटी के लिए ही पगली हो जाती है। अतः यह शीर्षक अत्यंत ही सार्थक, सटीक एवं संबेदनशील है।