धरती कब तक घूमेगी कहानी का सब्जेक्टिव क्वेश्चन | Dharti kab tak ghumegi subjective question
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धरती कब तक घूमेगी Dharti kab tak ghumegi subjective question |
1. सीता अपने ही घर मे क्यो घुटन महसुस करती है?
उत्तर: सीता एक विधवा और बूढ़ी औरत है। उसके तीन बेटे, बहुएं एवं पोते-पोतियाँ है। वह अपने इस परिवार के बीच में रहती है। उसके तीनो बेटों मे माँ और उसके खाने को लेकर अक्सर विवाद होता रहता है। जिसे देख सीता अपने ही घर मे घुटन महसूस करती है।
2. पाली बदलने पर अपने घर दादी माँ के खाने को लेकर बच्चे खुश होते थे जबकि उनके माता-पिता नाखुश। बच्चे की खुशी और माता - पिता के नाखुशी के कारणों पर विचार करें-
उत्तर: बच्चो मे ईष्या, द्वेष की भावना बिल्कुल नही रहती है जबकि माता - पिता खर्च, सेवा आदि को लेकर दु:खी रहते थे। इसी कारण पाली बदलने पर बच्चों को खुशी तथा माता -पिता को नाखुशी होती थी।
3. 'इस समय उसके आँखो के आगे न तो अंधेरा था और न ही उसे धरती और आकाश के बीच घुटन हुई' सप्रसंग व्याख्या करें।
उत्तर: उपर्युक्त पंक्तियाँ हमारी हिन्दी पाठ्यपुस्तिका वर्णिका भाग -2 के पाठ - धरती कब तक घूमेंगी' से लिया गया है जिनके लेखक का नाम सावर दईया है।
उपर्युक्त पंक्तियों के द्वारा लेखक तीन पुत्रों की माँ के पुरे स्थितियों के बारे मे बताते हुए कहते है कि - पति के मृत्यू के बाद ही सीता सब की आँखों की किड़किड़ी बन जाती है। सब उसे अपने अपने दूध मे पड़ी मक्खी समझने लगती है। तीनो बेटे माँ को खाना तो देते है पर भाँज लगाकर बारी-बारी से। एक - एक महीने वह हर बेटे के यहाँ खाती है। धीरे धीरे सब उसे घृणा व उपेक्षाभरी नजरों से देखने लगते है। यह सब देख सीता टुट जाती है। वह भीतर ही भीतर सारे दर्द सहन कर लेती है पर व्यक्त नही करती। वह प्रत्येक बेटे के यहाँ बारी - बारी से चक्कर काटती है। पर एक दिन बेटों ने यह निर्णय लिया की माँ को पच्चास - पच्चास रुपये महीने भत्ते के रूप मे सभी देंगे और वह अपना खाना स्वयं बना कर खा लेगी। यह सुनकर माँ का स्वाभिमान जाग जाता है और वह घर छोड़ने का निर्णय ले लेती है। उसने बेटे से मजदूरी लेने के अपेक्षा मजदुरी करके पेट पालना अधिक बेहतर समझा। यही कारण है कि रात के अंधेरे से घर छोड़ते समय भी उसकी आँखो के आगे न तो अंधेरा था और नही उसे धरती आकाश के बीच घुटन महसुस हुई।