धरती कब तक घूमेगी सारांश Dharti kab tak ghumegi kahani ka saransh
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धरती कब तक घूमेगी कहानी का सारांश | Dharti kab tak ghumegi kahani ka saransh |
इस लेख में धरती कब तक घूमेगी सारांश Dharti kab tak ghumegi kahani ka saransh दिया गया है।
अगर आप कक्षा - 10 ( Class 10th ) में है और बिहार बोर्ड परीक्षा में शामिल होने वाले हैं तो इस लेख को ध्यानपूर्वक अवश्य पढ़ें।
क्योंकि इस लेख में कक्षा दसवीं के हिंदी वर्णिका भाग 2 के पाठ - 5 धरती कब तक घूमेगी सारांश Dharti kab tak ghumegi kahani ka saransh दिया गया है। जो आपके बोर्ड परीक्षा में पूछे जा सकते है तो अपने तैयारी को बेहतर बनाने के लिए नीचे दिए गए सभी प्रश्नों को अवश्य पढ़ें।
1. धरती कब तक घूमेगी कहानी के कहानीकार 'सांबर दईया' का परिचय
उत्तर: सांबर दईया राजस्थानी भाषा के एक प्रमुख कहानीकार है। उनकी कहानियों मे राजस्थानी समाज गहरे अर्थबोध एवं विविध छटाओ के साथ उपस्थित हुआ है। प्रस्तुत कहानी 'समकालीन भारतीय साहित्य' ( अप्रैल-जून 1983 ई०) से यहाँ साभार संकलित है। इस कहानी का राजस्थानी से हिंदी मे अनुवाद कहानीकार ने स्वयं किया है।
2. सीता का चरित्र चित्रण करें ।
उत्तर: सीता धरती कब तक घूमेगी कहानी की एक प्रमुख पात्र है। वह बहुत ही स्वाभिमानी, सहनशील और दयालू महिला है। पति के देहांत के बाद वह इच्छारहित हो जाती है। वह पूर्ण रूप से अपने तीनो बेटी पर आश्रित हो जाती है। उसे जो कुछ भी खाने को दिया जाता है, वह खा लेती है। लेकिन उस दिन तो अजब ही हो गया था जिस दिन तीनों बेटों ने माँ को बारी बारी से खाना खिलाने का फैसला लिया। लेकिन उस दिन से ज्यादा तो तब गजब हो गया जिस दिन बेटों ने माँ को प्रतिमाह 50 रुपये देने का निणीय लिया। उसे इस बात की वेदना होती है ! जिस संतान के लिए तरह-तरह के कष्ट सहे। रातों की नींद खोई वही संतान अब उसे बोझ समझने लगा है। वह भीतर ही भीतर बहुत कुंठित होती है, पर किसी से कुछ कह नहीं पाती है। परिवार से इस महौल मे वह कहती है- कहने को तो यह घर है। गल्ली के लोगो को तो देखने मे अच्छा खाता पीता घर है, मगर यहाँ खाते पिते घर मे ही खाने-पीने को लेकर विवाद है। इस प्रकार वह परिवार की हर बेइज्जती और नफरत सह लेती है मगर तीनों बेटों द्वारा प्रतिमाह डेढ़ सौ रुपया गुजारा देने की बात पर उसका कलेजा निकल जाता है। और किसी
स्वाभिमानी स्त्री की तरह घर छोड़कर कही दूसरे जगह मजदुरी करके खाना बेहतर समझ चली जाती है। क्षत: इस तरह सीता एक सहनशील, दयालु और स्वाभिमानी स्त्री है।
3. धरती कब तक घूमेगी कहानी के शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट करें।
उत्तर: उत्तर- इस कहानी का शीर्षक ‘धरती कब तक घूमेगी’ घटना-प्रधान है । सीता अपने बेटों और उनसे अधिक बहुओं का विष सहते-सहते परेशान हो जाती है। उसे अपना पूर्व का जीवन स्मरण हो आता है। उसने आकाश की ओर दृष्टि उठाकर देखी और फिर पृथ्वी की ओर देखकर महसूस किया कि पृथ्वी और आकाश के बीच घुटन भरी हुई है। दो रोटियाँ ही सबकुछ नहीं, इनके अलावे भी तो कुछ है और वही अलावा वाली इच्छाएँ ही तो दुख भोगने को बाध्य करती हैं। सीता को आशा है कि धरती घूमेगी, पर कब तक घूमेगी? अतः यह शीर्षक सार्थक है।
4. सीता अपनी स्थिति को किससे तुलना करती है ?
उत्तर: बच्चों का खेल-‘माई-माई रोटी दे’। भिखारिन आती है और कहती है-“माई-माई रोटी दे” अन्दर से उत्तर मिलता है-यह घर छोड़ दूसरे घर जा। सीता भी अपने को उस भिखारिन जैसी मानती है। ऐसे भी महीना पूरे होते ही वही आदेश सुनाई देता है।
5. सीता क्या सोचकर घर से निकल पड़ी ?
उत्तर: प्रतिमाह 50-50 रु० देने की बात सुनकर की कलेजा निकल पड़ा। उसने सोचा कि जब मुझे मजदूरी ही करनी है तो कहीं भी कर लूँगी और रोटी खा लुंगी। यही सोचकर वह घुटन में घर से निकल पड़ी।