Dahi wali mangamma ka question answer - दही वाली मगम्मा का सब्जेक्टिव क्वेश्चन आंसर
इस लेख में Dahi wali mangamma ka question answer - दही वाली मगम्मा का सब्जेक्टिव क्वेश्चन आंसर दिया गया है।
अगर आप कक्षा - 10 ( Class 10th ) में है और बिहार बोर्ड परीक्षा ( Bihar Board Exam ) में शामिल होने वाले हैं तो इस लेख को ध्यानपूर्वक अवश्य पढ़ें।
क्योंकि इस लेख में कक्षा दसवीं के वर्णिका भाग - 2 के पाठ - 1 Dahi wali mangamma ka Subjective question answer - दही वाली मगम्मा का सब्जेक्टिव क्वेश्चन आंसर दिया गया है। जो आपके बोर्ड परीक्षा में पूछे जा सकते है तो अपने तैयारी को बेहतर बनाने के लिए नीचे दिए गए सभी प्रश्नों को अवश्य पढ़ें। ताकि आप परीक्षा में अच्छे अंक से उत्तीर्ण हो सकें।
इस Website पर आपको Class 10th एवं Class 12th के सभी विषयों का ऑब्जेक्टिव ( Objective ) सब्जेक्टिव ( Subjective ) लघु उत्तरीय एवम दीर्घ उत्तरीय प्रश्न का क्वेश्चन आंसर मिल जायेगा।
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Dahi wali mangamma objective question |
Class 10th hindi ka Subjective question
1. मंगम्मा का अपनी बहू के साथ किस बात को लेकर विवाद था ?
उत्तर:- मंगम्मा का अपनी बहूँ के साथ इस बात से लिए विवाद या की मंगम्मा ने एक दिन अपनी बहू को पोले को मारने पर बोली-'का रे चुड़ैल इसे क्यों पिट रही है।' और डाटी थी । इस बात को लेकर बहू ने मंगम्मा पर विगड़ गई और मंगम्मा को अपनी बेटे, पोते से दूर कर दिया। इस बात को लेकर मंगम्मा का अपनी बहू के साथ विवाद था।
2. रंगम्पा कौन था और वह मंगम्मा से क्या चाहता?
उत्तर:- रंगम्पा एक जुआरी था। वह शौकीन तबियत वाला व्यक्ति था। वह मंगम्मा से रूपया कर्ज के रूप मे माँगता था। वह इसके लिए अक्सर मंगम्मा को तंग करते रहता था। मंगम्मा अपनी बहू - बेटे से अलग रहती थी तथा उसके पास पैसा रहता है। इस बात हो रेगम्पा भली-भांति जानता था। माँ-बेटे के झगड़े का वह लाभ उठाना चाहता था।
3. बहू ने सास को मनाने के लिए कौन-सा तारिका अपनाया?
उत्तर:- जब बहू को पता चला कि रंगम्पा उसके सास मंगम्मा के पिछे पड़ गया है तो उसकी कान खड़ी हो गई। कही सास के रूपये-पैसे न हो ले, इस आशंका से वह घबड़ा गई। और तब बहू ने सास को मनाने के लिए अपने बेटे से कहा की जा दादी के पास, तुझे मिठाई देती है ना अगर मेरे पास आया तो पीटूंगी । बच्चा मंगम्मा के पास रहने लगा। एक दिन पोता जीद कर बैठा की मैं बेंगलुरु चलूंगा। मंगम्म क्या करे? माथे पर टोकरा, बगल में बच्चा !! मुसीबत हो गई। तब बेटे और बहू ने आकर अपनी गलती स्वीकार किया और कहा कि उस दिन गलती हो गई थी।
4. इस कहानी का कथावाचक कौन है? उनका परिचय दीजिए।
उत्तर:- इस कहानी का कथावाचक श्रीनिवास जी है। जिनका पुरा नाम मस्ती वेंकटेस अभ्यंगार हैं। इनका जन्म 6 जून 1891 ई0 मे कर्नाटक के कोलार नामक गाँव मे हुआ था।
श्रीनिवास कन्नड़ साहित्य के सर्वाधिक प्रतिष्ठित रचनाकारो मे एक है। इन्होंने कविता, नाटक, आलोचना, जीवन-चरित्र आदि साहित्य प्रायः सभी विधाओ में उल्लेखनीय योगदान दिया। साहित्य अकादमी ने उनके कहानी संकलन 'सण्णा कथेगुलु' को सन् 1968 मे पुरस्कृत किया। उन्हें ज्ञानपीठ भी प्राप्त है।
5. मंगम्मा का चरित्र - चित्रण कीजिए-
उत्तर:- मंगम्मा "दही वाली मंगम्मा" कहानी की नायिका है जो कर्नाटक के एक छोटे से गाँव में रहती है। मंगमा कर्नाटक गांव की एक भारतीय नारी है। वह एक आत्मनिर्भर महिला है। दही बेचार नहीं सिर्फ अपना भरण - पोषण करती है, बल्कि वे अपनी बहू की भी मदद करती है। वह एक कुशल विक्रेता है। मीठी आवाज मे सबसे बोलती बतियाती और जब - तब हाल - चाल भी पुछती है। मंगम्मा एक स्नेहमयी और स्वाभिमानी महिला है। अपने पोते के साथ-साथ दूसरे बच्चे को भी बहुत प्यार करती है। मांगने पर वह अपना दही भी सब को दे देती है। उसकी बहू जब अपने बेटे को पीटती है तो बहू को मना करती है। इसी बात को लेकर बहू - बेटा से कहासुनी होने पर और अंततः अलग किये जाने पर उनके सामने गिड़गिड़ाती नहीं, क्षमा नहीं माँगती, अपना आशियाना ठीक कर लेती है। मंगम्मा कुछ अंधविश्वासी है। जब कौआ से उसका स्पर्श होता है तो, प्रचलित धारणा के अनुसार मृत्युभय उसे सताने लगता है। किन्तु यह सोच कि यह सब बेकार की बात है। वह अपने -आप मे लौट आती है। मंगम्मा चरित्रवान है। रंगम्मा जब अकेली पाकर उसपर डोरे डालता है तो उसके जाल मे नही फसती। मंगम्मा सम्मान और स्नेह की भूखी है। यही कारण है जब बेटे-बहु उससे क्षमा मांगते और सम्मानपूर्वक अपने साथ रहने की प्रार्थना करते हैं, तो अस्वीकार नहीं करती।
इस प्रकार, मंगम्मा आत्मनिर्भर, स्वाभिमानी, मृदुभाषी, स्नेहमयी, पर अंधविश्वासी, चरित्रवान भारतीय नारी है, जो सम्मान और स्नेह की भूखी है।
6. दही वाली मंगम्मा कहानी के कहानीकार "श्रीनिवास जी" का परिचय दें-
परिचय ● 👉 श्रीनिवास जी का पूरा नाम मास्ती बेंकटेश अभ्यंगार है। इनका जन्म 6 जून 1891 ई0 मे कर्नाटक के कोलार नामक स्थान पर हुआ था। श्रीनिवास जी था देहावसान हो चुका है। वे कन्नड़ साहित्य के सर्वाधिक प्रतिष्ठित रचनाठारों में एक है। उन्होंने कविता, नाटक, आलोचना, जीवन चरित्र आदि साहित्य की प्राय: सभी विद्याओं मे उल्लेखनीय योगदान दिया है। साहित्य अकादमी ने उनके कहानी संगन 'सण्णा कथेगुलु' को सन 1968 को पुरस्कृत किया। उन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार भी प्राप्त हुआ। यह कहानी कन्नड़ कहानियां' (नेशनल ट्रस्ट इंडिया) से साभार ली गई है। इस कहानी का अनुबाद बी०आर नारायण ने किया है।
7. "दही वाली मंगम्मा" कहानी का सारांश लिखें -
सारांश👉 इसका उत्तर अगला पेज में दिया गया है
Dahi wali mangamma subjective question | Matric Exam 2023