दही वाली मंगम्मा का सारांश: Dahi wali mangamma ka saransh
इस लेख में दही वाली मंगम्मा का सारांश: Dahi wali mangamma ka saransh दिया गया है।
Hello दोस्तों! अगर आप कक्षा - 10 ( Class 10th ) में है और बिहार बोर्ड परीक्षा में शामिल होने वाले हैं तो इस लेख को ध्यानपूर्वक अवश्य पढ़ें।
क्योंकि इस लेख में कक्षा दसवीं के हिंदी वर्णिका भाग -2 के पाठ - 1 दही वाली मंगम्मा का सारांश: Dahi wali mangamma ka saransh दिया गया है। जो आपके बोर्ड परीक्षा में पूछे जा सकते है तो अपने तैयारी को बेहतर बनाने के लिए नीचे दिए गए सभी प्रश्नों को अवश्य पढ़ें।
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Dahi wali mangamma ka saransh |
Bihar Board Class 10th ka hindi ka question answer
प्रश्न: दही वाली मंगम्मा कहानी का सारांश प्रस्तुत करें।
सारांश 👉"दही वाली मंगम्मा" कहानी श्रीनिवास जी द्वार रचित एक प्रमुख कन्नड़ कहानी है।इनका जन्म 6 जून 1891 ई0 मे कर्नाटक के कोलार नामक स्थान पर हुआ था।
मंगम्मा इस कहानी की एक प्रमुख नायिका है, क्योंकि यह पूरी कहानी उसी के इर्द-गिर्द घूमती रहती है।
मंगम्म कर्नाटक के एक गाँव की भारतीय नारी है। वह आत्मनिर्भर है। दही बेचार न सिर्फ अपना भरण-पोषण करती, बल्कि वे बहू की भी मदद करती है। वह एक कुशल विक्रेता है। मीठी आवाज मे सबसे बोलती है और जब-तब हाल-चाल भी पुछती है। मंगम्मा स्नेहमयी और स्वाभिमानी है। अपने पोते के साथ-साथ दूसरे बच्चे को भी प्यार करती है। मांगने पर दही भी दे देती है। उसकी बहू जब अपने बेटे को पीटती है तो बहू को मना करती है। इसी बात को लेकर बहू - बेटा से कहासुनी होने पर और अंततः अलग किये जाने पर उनके सामने गिड़गिड़ाती नहीं, क्षमा नहीं माँगती, अपना आशियाना खुद ठीक लेती है। मंगम्मा कुछ अंधविश्वासी है। जब कौआ से उसका स्पर्श होता है तो, प्रचलित धारणा के अनुसार मृत्युभय उसे सताने लगता है। किन्तु यह सोच कि यह सब बेकार की बात है। वह अपने -आप मे लौट आती है। मंगम्मा चरित्रवान है। रंगम्मा जब अकेली पाकर उसपर डोरे डालता है तो उसके जाल मे नही फसती। मंगम्मा सम्मान और स्नेह की भूखी है। यही कारण है जब बेटे-बहु उससे क्षमा मांगते और सम्मानपूर्वक अपने साथ रहने की प्रार्थना करते हैं, तो अस्वीकार नहीं करती।